OUR NATURE IS OUR FUTURE

 

लाखों की गाड़ी एक चाबी और एक ब्रेक पर और करोड़ों का घर एक छोटे से ताले और चाबी पर निर्भर रहता है। उसी तरह हमारा व्यक्तित्व भी हमारी सोच और स्वभाव पर निर्भर करता है। सोच हमारा मन है और व्यवहार हमारा कर्म। हमारे स्वभाव से हमारी पहचान बनती है। हमारा स्वभाव जैसा होता है, हमारा मन भी वैसा होता है और हम वैसा ही व्यवहार और कर्म करते हैं।
संस्कार और स्वभाव बदलते नहीं। यदि बदल सकते तो मुरलीवाला दुर्योधन की सोच बदल देता और महाभारत न होती। स्वभाव बदलना मुश्किल है तो हम अपने व्यवहार में तो परिवर्तन जरूर ला सकते हैं। व्यवहार में सकारात्मकता आते ही हमारा व्यक्तित्व निखर उठता है। 
प्रकृति में हर पल सौंदर्य, माधुर्य और ऐश्वर्य विद्यमान है। परमात्मा और प्रकृति हर प्राणी के उद्धार और कल्याण के लिए नित्य तत्पर हैं। अत: सकारात्मक दृष्टिकोण की निरंतरता रहे। अपनी सोच को सकारात्मक बनाएं एवं दूसरों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें। प्रकृति को गहराई से देखें, फिर आप सब कुछ बेहतर समझेंगे। जिस दिन को आप जी रहे हैं, क्यों न उसे वर्ष का सर्वश्रेष्ठ दिन जानकर जिया जाए।
मनुष्य वह प्राणी है जो अपने विचारों से बना है। वह जैसा सोचता है, वैसा ही बन जाता है। अपनी सोच के दायरे को बड़ा करें। जो व्यक्ति अपनी सोच को सीमित रखता है वह अपने सपनों को कभी पूरा नहीं कर पाता है। हमेशा आपको अपनी सोच का दायरा बड़ा रखना चाहिए। आप जिस चीज के बारे में सोचेंगे, वही आपको मिलेगी। यदि आप किसी चीज के बारे में सोचते ही नहीं हैं तो आप उसे पा ही नहीं सकते। सफलता और हमारे बीच की दूरी बस कुछ कदम की है। हमें सफलता तभी मिल सकती है जब हम अपनी नकारात्मक सोच को त्यागकर स्वयं को इसके योग्य समझेंगे। फिर आप देखेंगे कि एक सोच के बदलने मात्र से ही आपके जीवन में कितना बड़ा परिवर्तन आता है।
जीवन सतत प्रवाहशील है, जहां ढेर सारी खुशियों के बीच में दु:ख भी आते हैं। इसलिए किसी भी परिस्थिति से बच पाना संभव नहीं है, लेकिन स्वयं को इस परिस्थिति से भावनात्मक एवं आध्यात्मिकता के सहारे बचाया जा सकता है।
मात्र सकारात्मक सोच ही हमें इस संसार में खुशियां दे सकती है।
जरूरी है कि हमारे जीवन की स्वाभाविकता बनी रहे। उच्चता के अविनत शिखर पर पहुंचने के लिए मनुष्य को अपने जीवन को एक सुगढ़ सांचे में ढालना होता है। जो अपने जीवन को सुघड़ सुंदर और सानंद नहीं बना सकता वह कितना ही प्रतिभावान, धनवान और ज्ञानवान क्यों न हो महानता के शिखर तक नहीं पहुंच सकता। अगर आपको अपने जीवन में सफल बनना है तो आपको आज से ही अपनी सोच सकारात्मक बनानी होगी। यह सत्य है कि हम जैसा सोचते हैं वैसा ही प्राप्त करते हैं ।