World First Selfie
आजकल सेल्फी का क्रेज हर किसी के सिर पर चढ़कर बोल रहा है. युवा से लेकर बूढ़े तक हर कोई स्मार्टफोन के कैमरे से अपनी तस्वीरें खींचकर सोशल मीडिया पर शेयर कर रहा है. सेल्फी केवल तस्वीरें खींचने तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि यह सेल्फ-एक्सप्रेशन और सेल्फ-लव का अहम जरिया बन गई है. लोग अपनी सबसे शानदार सेल्फी लेने के लिए नए-नए पोज और एंगल आजमाते हैं. सेल्फी का यह क्रेज इतना बढ़ गया है कि हर साल 21 जून को वर्ल्ड सेल्फी डे के रूप में मनाया जाता"
सेल्फी खुद को जाहिर करने का एक मजेदार और रोमांचक तरीका है. लेकिन इसका इस्तेमाल समझदारी से करना चाहिए. हमें याद रखना चाहिए कि सेल्फी केवल तस्वीरें नहीं हैं, बल्कि हमारी पर्सनैलिटी और हमारी सोच को दिखाती हैं. आइए जानते हैं कि सेल्फी का 185 साल पुराना इतिहास"
आजकल सेल्फी का क्रेज हर किसी के सिर पर चढ़कर बोल रहा है. युवा से लेकर बूढ़े तक हर कोई स्मार्टफोन के कैमरे से अपनी तस्वीरें खींचकर सोशल मीडिया पर शेयर कर रहा है. सेल्फी केवल तस्वीरें खींचने तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि यह सेल्फ-एक्सप्रेशन और सेल्फ-लव का अहम जरिया बन गई है. लोग अपनी सबसे शानदार सेल्फी लेने के लिए नए-नए पोज और एंगल आजमाते हैं. सेल्फी का यह क्रेज इतना बढ़ गया है कि हर साल 21 जून को वर्ल्ड सेल्फी डे के रूप में मनाया जाता"
1839 में ली गई सबसे पहली सेल्फी
1839 में अक्टूबर या नवंबर का महीने में 30 वर्षीय रॉबर्ट कॉर्नेलियस ने फिलाडेल्फिया में अपने पिता की दुकान के पीछे वाले हिस्से में कैमरा लगाया. लेंस कैप बाहर निकाला और फ्रेम के सामने 5 मिनट दिया फिर कैप को दोबारा लगा दिया. इसके बाद जो तस्वीर निकलकर आई उसे पहला सेल्फ-पोर्ट्रेट(आज की भाषा में सेल्फी) कहा गया. कुल लोगों का यह भी मानना था कि रॉबर्ट को पहली सेल्फी लेने में 3 मिनट लगे थे. उन्होंने पिक्चर क्लिक करने के बाद उन्होंने लिखा था, "The first light picture ever taken". बाद में रॉबर्ट एक मशहूर फोटॉग्राफर के तौर पर जाने गए."यह सेल्फ़ी धुंधली और काली-सफ़ेद थी.